Tuesday, May 19, 2015

क्या सिंधु घाटी सभ्यता संथाल,असुर,मुंडा,गोंड आदि आदिवासी सभ्यता है ? (Is Indus Valley Civilization a Santhal,Munda,Asur,Gond or tribal Civilization?)

जो लोग यह कहते है की सिंधु घाटी के लोग वनवासी जैसे संथाल,असुर,मुंडा आदि के वंशज उनके पास अपनी बात सिद्ध करने के लिए कुछ ही सबूत है।
वही पुराना आर्य आक्रमण वाली बात कहेंगे की आर्य नाम के विदेशी आक्रमणकारी आये और उन्होंने भारत के मूलनिवासियो को हराकर भगा दिया और सिंधु घाटी सभ्यता को तबाह कर दिया।

आज आर्य आक्रमण को कोई नहीं मानता और इसकी जगह पर आर्यों के भारत में प्रवास का नया सिधांत आया है।

भारत के कई बड़े बड़े इतिहासकारों ने कई मोटी मोती पुस्तके लिखे यह बात सिद्ध करने के लिए की सिंधु घाटी वनवासियों की सभ्यता थी।

सबूत के रूप में वे वृक्ष पूजन, धरती पूजन, पर्यावरण पूजन और अन्य परम्पराओ का उल्लेख करते है। पर यह सब विश्व की हर सभ्यता में पाएंगे।

इनका सबसे मुख्य सबूत है भाषा। भारत के वनवासी भारत के मूल लोग है इस बात को मध्यधारा के इतिहासकार मान्यता देते है। इसीलिए यह माना जाता है की सिंधु घाटी के लोग
प्रोटो ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा बोलते थे। क्युकी नस्ल विज्ञान अनुसार भारत के वनवासी ऑस्ट्रो-एशियाटिक है न की द्रविड़।

कई आदिवासी इतिहासकार अपनी पुस्तको में सिंधु घाटी की लिपि को पड़ने का और उसकी भाषा को समझने का दावा भी कर चुके है।

पहले थोड़ा भाषाविज्ञान का ज्ञान लेते है, भाषाविज्ञान अनुसार भारत के अधिकतर वनवासी ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषाए बोलते जो की द्रविड भाषाओ से अलग है द्रविड़ भाषा से उसका कोई लेना देना नहीं। अम्बेडकरवादी अक्सर वनवासियों को द्रविडो में गिनते है जो गलत है।

भाषाविज्ञान अनुसार अधिकतर वनवासी भाषाए दैलेक्ट है।

दैलेक्ट असल में उपभाषा या बोली को कहते है, दैलेक्ट में व्याकरण और लिपि की कमी होती और इसीलिए उसे भाषा का दर्जा नहीं मिलता।
वनवासियों ने कभी अपनी भाषा को किसी पुस्तक में लिखकर नहीं रखा, उनकी भाषा उनके पारंपरिक लोक गीत और कथाओ द्वारा बची रही। जब भारत में अंग्रेज आए तब जाकर कई आदिवासी भाषाओ का विकास हुआ, उनके लिए लिपि तैयार हुई और व्याकरण बनाये गए। यह लिपि या तो आर्य भाषा परिवार की लिपियो की देन है और द्रविड भाषा परिवार की। वनवासियों ने कभी खुदकी स्वतंत्र लिपि नहीं बनाई जिस कारन हमें यह नहीं पता चल सकता की आज से हजारो साल पहले उनकी भाषा कैसी थी।

अब हमारे महान इतिहासकार जो इस बात को समर्थन करते है की सेंधव सभ्यता की भाषा और सभ्यता आदिवासियों की थी वे किस बात के बल पर यह दावा करते है?
अब आप न तो सिंधु सभ्यता की लिपि पड़ नहीं सकते और आदिवासी भाषाओ की लिपि है ही नहीं तो आप कैसे कह सकते है की सिंधु घटी सभ्यता एक आदिवासी सभ्यता है?
साथ ही हर इतिहासकार अलग अलग बात कहता है, कोई बोलता है की सिंधु घाटी के लोग संथाली भाषा बोलते थे,कोई बोलता है वे मुंडा लोगो की भाषा बोलते थे,कोई बोलता है वे असुरी भाषा बोलता है, कोई बोलता है वे गोंड भाषा( गोंड लोग ऑस्ट्रो-एशियाटिक है उनकी भाषा गोंडी द्रविड़ी है) और कोई कुछ और बोलता है।
समय के साथ भाषा में परिवर्तन होता ही है तो इन सब भाषाओ में इन कई वर्षो में परिवर्तन आये होंगे, साथ ही सभी ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा एक ही भाषा से आई होगी, जिसे भाषाविज्ञान में प्रोटो ऑस्ट्रोएशियाटिक भाषा बोलते है।
कोई इतिहासकार यह दावा क्यों नहीं करता की सिंधु सभ्यता के लोग प्रोटो ऑस्ट्रोएशियाटिक बोलते थे? यह इसीलिए क्युकी वे यह सिद्ध नहीं कर सकते क्युकी कोई यह ठीक से नहीं बता सकता की प्रोटो ऑस्ट्रोएशियाटिक कैसी थी। आज इतिहासकारों के सामने जो आधुनिक भाषाए है उसी के आधार पर वे यह दावा कर रहे है।
आप हिंदी के आधार पर संस्कृत का अध्यन तो नहीं कर सकते न।

भाषा के अलावा लोक कथाओ का अधर भी लिया गया है।
संथाली लोक कथा अनुसार वे चम्पागढ़ से आये थे, चम्पागढ़ के अलावा भी कई नगर थे जिन्हें उन्हें बाड़ की वजह से छोड़ना पडा। पर केवल इसी आधार पर आप यह नहीं कह सकते की चम्पागढ़ सिंधु घाटी सभ्यता का कोई नगर था।  चम्पागढ़ तो बंगाल में था जिसे संथाली राजाओ को दिल्ली सल्तनत के आक्रमण के कारन उसे छोड़कर जाना पडा था। मुंडाओ की भी लोक कथा है 'सोसोबोंगा ' नाम की जिसके अनुसार वे अपने पुरखो की भूमि छोड़कर असुर काबिले के इलाके में आ बसी जिस कारण दोनों में युद्ध हुआ था।
गोंड लोक कथाओ अनुसार यह ब्रह्माण्ड उनके परम देवता बाबा देव ने बनाया था, उन्होंने पहले अपने बदन के मेल से कौआ बनाया जिसे उन्होंने मिट्टी लाने भेजा, कौआ मिटटी लाया और मकड़े ने जाल बूना जिसपर बाबा देव ने दुनिया बनाई। इन सब कथाओ के चित्र या मुर्तिया अब तक क्यों नहीं मिली सिंधु घाटी में ?
जबकि वहा हमें योग करते लोगो की मुर्तिया मिली है और स्वस्तिक भी।

भारत के वनवासियों ने हजारो सालो से अपनी संस्कृति संभाल रखी है। और उनकी संस्कृति सच में महान है। वनवासी भारत के सबसे प्राचीनतम लोग है इस बात में शक नहीं पर फिर क्यों वे अन्य सभ्यताओ से खुदकी संस्कृति का मुकाबला करते है ?
संथाल,मुंडा,गोंड आदि कई वनवासी राजाओ कई परम्क्रम वाले काम किये। यह जरुरी नहीं की सिंधु घाटी सभ्यता वनवासियों की हो और इससे उनकी महानता कम नहीं होगी।

निर्पक्ष होक विचार करे और सच पहचाने

जय माँ भारती ।

11 comments:

  1. Gond aadiwasiyo ki sabhyata mahan hai. Or unki sabhyata sabse prachin hai.sindhu ghati ke jo avshesh mile hai usme ek yogi ki pratima dhi hai jo us samay ke logo ke bhagwan hai jinka nam pari kupar lingo hai. Jo gondo ke bhi bhagwan hai.Jis ki puja aaj bhi gond samaj ke log kar rahe hai.lipi bhi gondi lipi hai jise pahchana ja chuka hai. Gondi bhasa ki puri disnari banchuki hai.in sabhi sabuto ko jhutlaya nahi ja sakata.

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  3. मैं गोंड हूँ और जो बातें तूने गोंड के बारे में बताई झूठ है
    अब जरा इसे नीचे लिंक दिया है पड़ ले और हां हिम्मत है तो डिलेट मत करना मेरा कमेंट http://www.bibhudevmisra.com/2016/01/shiva-as-bada-dev-gond-symbolisms-on.html?m=1

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  4. अम्बेडकवादी लोग समानता की बात करता हैं और तुम मनुवाद की और तुमको समझाना गधे को ज्ञान देने जैसा है । अगर तुम जानबूझकर झूठ फैला रहे तो फिर तुमको कुछ बताना भैंस के सामने बीन बजाने जैसा है और अगर तुम निष्पक्ष हो सच जानना चाहते हो तो जाकर बस्तर के गोंड
    से मिलो और उनका रहन सहन, संस्कृति, कला और वो सब जानो जो जरूरी हैं। गोंडो के बारे में जो ज्ञान तुम्हे बस्तर के गोंडो से मिलेगा वो कहीं और से नहीं क्योंकि सब संक्रमित हो गए और भाषा तक भूलने लगे और सरकार हमारे सिंधु घाटी के निवासी होने के सबूत को मिटाने के लिए बस्तर के गोंडो को नक्सली कहकर मार रही हैं।
    गोंड और सिंधु घाटी के ऊपर लिखा गया विभुदेव मिश्रा जी का लेख जरूर पढ़ना http://www.bibhudevmisra.com/2016/01/shiva-as-bada-dev-gond-symbolisms-on.html?m=1

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  5. किसने कहा सन्थाल, असुर, मुंडा की सभ्यता हैं लोग सिर्फ गोंडो का है ऐसा कह रहे है पर
    संथाल, असुर, मुंडा ये तीन तुमने इसीलिए जोड़ा ताकि तुम्हारी बात सच हो जाये क्योंकि ये तीन जनजातियों के वहाँ कोई सबूत नहीं हैं पर गोंडो का हैं तो टाइटल में सिर्फ गोंड लिखना चाहिए था न
    सिंधु घाटी सभ्यता सिर्फ गोंडी भाषा वालों का था
    जिसको तुम योगी बोल रहे हो वो पारी कुमार लिंगो हैं

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  6. और इस बात का अम्बेडकर से क्या लेना देना ये तो सच्चा इतिहास लिखने की बात है न
    और वैसे भी मनुवादी होने से अच्छा अम्बेडकर वादी होना है। हिन्दू(वर्ण वाला) होने से अच्छा बौद्ध(समानता वाला) होना हैं।
    इन दोनों धर्मो में कोई अंतर नही सिर्फ वर्ण व्यवस्था के अलावा।

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  7. सम्पूर्ण उत्तरकाण्ड प्रक्षिप्त है इसलिए उत्तरकाण्ड के अंतर्गत वर्णित किसी भी प्रसंग को सत्य मानना अनुचित है

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  8. अबे साले जूठे मक्कारे अपना काम कर चल जलन तो देखो भरी पड़ी हे गद्दार मे ये डिलीट कर अगर समाज के बारेमे कुछ भी बोलेगा क्या। 🙄😠

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