Tuesday, April 1, 2014

चमारद्वीप का मिथक (Myth of Chamardwipa)

आंबेडकरवादी दावा :- एशिया का असली नाम चमारद्वीप था और उसी से आर्यों ने जम्बुद्वीप शब्द बनाया ,चमारद्वीप अफगान से ऑस्ट्रेलिया तक फैला था । 3200 ईसापूर्व में आर्य यूरेशिया से आये और चमारद्वीप कब्ज़ा लिया ।फिर चमारद्वीप का नाम जम्बुद्वीप,फिर आर्यावर्त और आखिर में भारत रख दिया ।
गौतम बुद्ध ने मूलनिवासियो के लिए क्रांति की और फिरसे भारत का नाम जम्बुद्वीप हुआ ।

दावे की पोल खोल :-
Etymology उस विज्ञान को कहते है जिसमे किसी शब्द की उत्पत्ति खोजी जाती है ,अब क्या अम्बेडकरवादी मुझे बताएँगे की किस Etymologist ने यह बताया की चमारद्वीप से जम्बुद्वीप शब्द आया है ?? या यु ही हवा में बात बना दी ??
चलो मान भी लिया की जम्बुद्वीप पहले चमारद्वीप था ,तो भारत के अलावा कई देश थे जम्बुद्वीप पर ,क्या उनके प्राचीन लेखो में चमारद्वीप शब्द है ?
शायद आंबेडकरवादियो को इतिहास का ज्ञान नहीं ,क्युकी 3200 ईसापूर्व में ही सिंधु घाटी सभ्यता अपने चरम पर पहुची थी ,तो यदि इस वक़्त विदेशी सिंधु घाटी सभ्यता पर हमला करते तो सिंधु घाटी सभ्यता का तभी अंत हो जाता ।
आंबेडकरवादी तो मानते है की सिंधु घाटी के लोग तमिल बोलते थे ,और तुम लोग इतने बड़े Etymologist हो ही तो जरा बता दो तमिल में चमारद्वीप का क्या अर्थ है ??
चलो यदि मान ले की जम्बुद्वीप का नाम पहले चमारद्वीप था तो फिर आर्यों के ग्रंथो में कहा चमारद्वीप का उल्लेख है ??
गौतम बुद्ध का उद्देश्य था हर मनुष्य को मोक्ष की राह पर ले जाना ना की कोई मूलनिवासी क्रांति ।उपाली के अलावा शायद ही कोई दलित था गौतम बुद्ध के संघ में ,तो क्या केवल एक ही मूलनिवासी के साथ मिलकर उन्होंने क्रांति की थी ??
बुद्ध मूलनिवासियो के क्रांति के लिए क्या उपदेश दिए थे ??
और यदि ब्राह्मणों ने बोद्ध धर्म में मिलावट की तो तुम्हे कैसे मालूम की बुद्ध भी कोई वास्तविक व्यक्ति थे ,क्या पता ब्राह्मणों ने तुम लोगो को मुर्ख बनाने के लिए एक काल्पनिक किरदार को खड़ा कर दिया ??
जब इन सवालो का जवाब दोंगे तो मान लूँगा की जम्बुद्वीप पहले चमारद्वीप था ।

जय माँ भारती