Wednesday, January 22, 2014

द्रविड़ी भाषा (Dravidian Language)

आंबेडकरवादियों का दावा :-
द्रविड़ी भाषा परिवार की भाषाए भारत की मूल भाषा था आर्यों के आने से पहले ।द्रविड़ी भाषा की उत्पत्ति भारत में हुई थी ।

मिथक का भंडाफोड़

भारत में आज तिन भाषा परिवारों की भाषाए बोली जाती है ।एक तो हिंद आर्य जो सबसे ज्यादा लोग बोलते है।दूसरा सबसे बड़ा भाषा परिवार है द्रविड़ी भाषा परिवार जो दक्षिण भारत में अधिक बोला जाता है ,ब्राहुई भी द्रविड़ी परिवार से ताल्लुक रखता है और वही उन गिनी चुनी भाषा में से एक है जो भारतीय उप महाद्वीप के उत्तर में बोली जाती है ।तीसरा भाषा परिवार है सीनों तिबत्तन भाषा परिवार जो उत्तर पूर्व भारत में बोली जाती है ।
द्रविड़ी भाषा भारत की मूल भाषा थी आर्यों के आने से पहले यह मिथक अंग्रेजो ने गडा था ।
आज अस्को प्रपोला जैसे विद्वान भी इस बात का समर्थन करते है ,समर्थन क्या ,अस्को को इनाम के तौर पर काफी पैसे मिलते है दक्षिण भारत से जो खुदको द्रविड़ी समझते है ।

जब मानव अफ्रीका से निकला तब वो कई दलो में बट गया ,जो समूह जहा गया और बसा वहा एक नई भाषा का विकास हुआ ,यानि हर भाषा परिवार एक दुसरे से संबंध रखती है ।

द्रविड़ एक संस्कृत शब्द है जो दो शब्द द्रव और विद से बना है । द्रव का अर्थ है जल और विद का अर्थ विद्वान अर्थात ऐसे लोग जो समुद्र के ज्ञाता हो ,कुछ ग्रंथो में महाराष्ट्र,गुजरात,तमिल नाडू,उड़ीसा आदि तटीय इलाको को द्रविड़ी देशो में गिना गया है ,ये राज्य समुद्र के करीब है  ।

द्रविड़ी भाषा भारत की मूल भाषा नहीं पर उसका पूर्वज हो सकता है ,उसका पूर्वज और संस्कृत का पूर्वज एक ही है ।भारत में 70 हज़ार वर्ष पहले लोग नर्मदा नदी के किनारे बसे ,फिर बाद में इन्ही लोगो का समूह उत्तर भारत में बसा और एक दक्षिण में ।
अलग अलग होने से पहले ये लोग जो भाषा बोलते थे वह ही तमिल और संस्कृत की माँ थी ।
पर संस्कृत अपनी माँ के ज्यादा करीबी है और तमिल आदि द्रविड़ी भाषा विदेशी ज्यादा लगती है ।
डेविड मेक आलपिन ने अपनी शोध से पता लगाया की प्राचीन ईरान की एलाम सभ्यता की भाषा एलामी भाषा और द्रविड़ी भाषा के 20% शब्द मिलते है ।
एलामी भाषा किस भाषा परिवार से ताल्लुक रखता है इसपर अभी शोध चल रही है पर कुछ लोगो के अनुसार एलामी भाषा द्रविड़ी भाषा परिवार की सबसे प्राचीन भाषा है ।
डेविड अनुसार सिंधु सरस्वती सभ्यता की भाषा द्रविड़ी भाषा थी और जैसे जैसे इराक से खेती दूसरी जगह फैली तो खेती ईरान पहोची और वहा से सिंधु घाटी में ,खेती के साथ एलामी भाषा भी भारत पहोची ।
इसके अलावा कुछ विद्वानों ने द्रविड़ी भाषा और प्राचीन इराक की भाषा सुमेरी भाषा में समानता पाई है पर सुमेरी भाषा एफ्रो एशियाटिक भाषा परिवार से ताल्लुक रखती है ।
कुछ विद्वानों ने पश्चिमी यूरोपीय भाषा और द्रविड़ी भाषा में भी समानता देखि है ।
यदि ऐसा ही है तो द्रविड़ी भाषा भारतीय कम विदेशी ज्यादा है ।
पर अस्को प्रपोला जैसे विद्वान जो पैसे लेते है और कई अन्य लोगो ने इस बात को नकार दिया की द्रविड़ी भाषा इराकी,ईरानी और पश्चिमी यूरोपीय भाषा से मिलती है ।
आखिर नकारेंगे ही ,इनके आकाओ को यह मंजूर नहीं ।
आर्य द्रविड़ विवाद केवल भारत में ही नहीं हर उस देश में है जहा काले गोरे का रंगभेद है ।
अश्वेत लोग मानते है की वे द्रविड़ी है और श्वेत लोग खुदको आर्य मानते है ।
यूरोप,इराक और ईरान को हमेशा से आर्यो का यानि की श्वेत लोगो का गड़ माना जाता है ,अब यदि अश्वेतों की भाषा आर्यो की भाषा से मिलती हो यह बात साबित हो जाये तो रंग के नाम पर राजनीती करके पैसा कमाने वाले पैसे कैसे कमाएंगे ??
न कोई श्वेत जाती है और न ही अश्वेत ,यह केवल कल्पना है ।

मैं आपको बता चूका हु की द्रविड़ी भाषा भारतीय न होकर ज्यादातर विदेशी है ।
सिंधु सरस्वती सभ्यता के लोग संस्कृत बोलते थे ।

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